Wednesday 17 October 2018

वीडियो एडिटिंग: सिद्धांत (Principles)

वीडियो संपादन के बेसिक सिद्धांत 

वीडियो एडिटिंग वीडियो फुटेज को संपादित करने की प्रक्रिया है जिसमे विशेष प्रभाव जोड़ना, टेक्स्ट को जोड़ना, ध्वनि रिकॉर्डिंग जोड़ना इत्यादि शामिल हैं । यदि वीडियो संपादन मौजूद नहीं होता तो इसका मतलब यह होता कि किसी भी गलती के बिना, सही क्रम में, सबकुछ लाइव करने की आवश्यकता होती जो कि आज के आधुनिक युग में असंभव है । पिछले कई वर्षों में वीडियो संपादन बहुत बदल गया है क्योंकि टेक्नोलॉजी बदल गई है और जिसमे समग्र रूप से सुधार हुआ है, लेकिन आज भी संपादन के सिद्धांत बहुत समान हैं।

वीडियो एडिटिंग में कुछ सिद्धांत या नियम होते हैं जिससे दर्शकों को कहानी को बेहतर तरह से समझाने में मदद मिलती है. प्रत्येक तकनीक दर्शकों से एक विशिष्ट प्रतिक्रिया बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है. 
कुछ बेसिक सिद्धांत इस प्रकार हैं - 

1. निरंतरता (Continuity) – 
यह घटनाओं की निरंतरता में शॉट्स के अनुक्रम की व्यवस्था करने के लिए संदर्भित करता है. 
(This refers to arranging the sequence of shots into a progression of events.)

Continuity का एडिटिंग में मतलब एडिटिंग नियमों का पालन करते हुए वीडियो पर इस तरह से कट लगाना है जिससे वीडियो की निरंतरता और स्पष्टता बनी रहे । इसका उपयोग टेलीविजन और फिल्म दोनों में बहुत अधिक होता है, क्योंकि यह कहानी को सही क्रम से आगे बढाने में मदद करता है जिससे कहानी को समझना आसान हो जाता है। इसका उपयोग नहीं करने से कई बार भ्रम पैदा हो सकता है। कंटीनुइटी कई प्रकार की होती है जिसमे मुख्य होती है –

a. कंटीनुइटी ऑफ़ इनफार्मेशन 

b. कंटीनुइटी ऑफ़ शॉट्स 

c. कंटीनुइटी ऑफ़ मूवमेंट और एक्शन 

d. कंटीनुइटी ऑफ़ कलर 

e. कंटीनुइटी ऑफ़ साउंड 

जायदा जानकारी के लिए निचे दिये गए लिंक पर क्लिक कर वीडियो देख सकते हैं .
https://www.youtube.com/watch?v=U6B4COAnizc

2. रूल ऑफ़ 180 और 30 डिग्री (Rule of 180 and 30 degree) – 

180 डिग्री नियम एक मूल दिशानिर्देश है, जो एक ही दृश्य में दो पात्रों या तत्वों को एक-दूसरे के साथ हमेशा एक ही बाएं / दाएं रिश्ते का बनाये रखता है । इसमें शॉट्स इस प्रकार होने चाहिए जिससे दोनो पात्र एक दुसरे को देख कर बात कर रहे हैं या एक दुसरे के विपरीत खड़े हैं यह स्पष्ट समझ आना चाहिए. इसलिए प्रोडक्शन जितने भी कैमरा उपयोग हो रहे हैं वह इमेजिनरी लाइन (180 डिग्री पर बनाई हुई लाइन) के एक तरफ ही रहेंगे. यदि कैमरा दो विषयों को जोड़ने वाली इमेजिनरी एक्सिस से गुजरता है तो विपरीत तरफ से दिखाया जाएगा और इसलिए रिवर्स एंगल में दिखाया जाएगा। दर्शक पात्रों की स्थिति से भ्रमित न हों इसलिए कैमरा इस लाइन को पार नहीं करता है। (चित्र क्रमांक - 20(a) देखें)

चित्र क्रमांक - 20(a)

30-डिग्री नियम एक मूल फिल्म संपादन दिशानिर्देश है जिसमें कहा गया है कि एक ही विषय के दो लगातार शॉट के बीच के कैमरा एंगल में कम से कम 30 डिग्री का अंतर होना चाहिए. यदि कैमरा एंगल 30 डिग्री से कम होता है, तो शॉट्स के बीच ट्रांजीशन एक जंप कट की तरह दिख सकता है-जो दर्शकों को कहानी से बाहर ले जा सकता है। दर्शक कथा के बजाए फिल्म तकनीक पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

3. संपादन अदृश्य बनाओ (Make the Edit invisible) – 
 दर्शक को कभी भी एडिटिंग का एहसास नहीं होना चाहिए, इसलिए शॉट्स या ट्रांजीशन का उपयोग इस प्रकार करना होता है जिससे जम्प कट का एहसास ना हो. निरंतरता यह सुनिश्चित करता है कि संपादन दिखाई नहीं दे रहा है जो शॉट को सुसंगत बनाता है जो सुनिश्चित करता है कि दर्शक भ्रमित नहीं हो रहा है। ऑय लाइन मैच तकनीक का उपयोग भी इसी का ही एक उदहारण है. इसमें पहले शॉट में एक चरित्र स्क्रीन की तरफ देखता है और फिर अगले शॉट में दिखया जाता है कि वह चरित्र क्या देख रहा है। इसका उपयोग कट ट्रांजीशन को आसान बनाने में मदद के लिए किया जाता है क्योंकि दर्शकों को कट होने की उम्मीद है और यह पता लगाने के लिए उत्सुक है कि अगला शॉट में क्या है। 

4. हमेशा एक निश्चित संदेश दें (Always deliver a certain message) - 
जब भी हम कुछ वीडियो फुटेज को इकठ्ठा करके उसमे संपादन करते हैं तो ये ध्यान रखना जरुरी है कि संपादन पूरा होने के बाद उससे कोई न कोई सन्देश दर्शकों तक जरुर जाए. इससे उस वीडियो की सार्थकता बनी रहती है.